प्रस्तुतकर्ता
अनुपमा पाठक
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6 अप्रैल 2022
मुझ तक नहीं आती है
कभी कोई ढाढ़स की आवाज़
अपना ढाढ़स होने को मुझे ही औरों का ढाढ़स होना पड़ता है
जिस जिस तक मैं पहुँची
वो सब मेरे खुद तक पहुँचने के ही उपक्रम थे
मेरा आसमान
इतना भींगा था कि सूखे का भ्रम होता था
पलकों में मीठी नींदों का सपना सोता था
और मैं जागती रह जाती थी
कि चैन की नींद सो पाऊँ
ऐसा होने में आकाश भर आशंकाएं तैरती थीं
मेरी खुद से अभी आकाश भर की दूरी थी।
-अनुपमा
"लौ दीये की" में संकलित
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पुस्तक का लिंक
https://shwetwarna.com/shop/books/lau-diye-ki-anupama/
8447540078 श्वेतवर्णा प्रकाशन के इस नंबर पर संपर्क करके भी पुस्तक मंगायी जा सकती है।
प्रस्तुतकर्ता
अनुपमा पाठक
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31 मार्च 2022
निष्प्राण माटी सी थी भाव-लता
कविता के अवलंब ने
भाव-लता को
सुदृढ़ आधार दिया
माटी का दीया रूप साकार किया
और स्वयं लौ-सी प्रज्वलित हो उठी।
दीये की गरिमा लौ से है
कि बुझे दीप की गति तो श्मशान ही है।
जब तक लौ है
तब तक दीया अपने आप में
अपनी ज़मीं अपना आसमान भी है।
ये जो, कविताएँ या कविता-सा-कुछ, जो भी है
ये ही हासिल मेरे जीये की
लौ दीये की।
मेरा पहला कविता संग्रह "लौ दीये की" बीते दिसम्बर प्रकाशित हुआ। आज बहुत समय बाद अनुशील तक लौटी तो सोचा रचनात्मक यात्रा का यह पड़ाव यहाँ भी दर्ज कर लूँ। यहाँ जहाँ डायरी में छूट गयी कविताओं को लिखने का सिलसिला शुरू हुआ था और आप सब के शब्दाशीश पा धन्य होता रहा था।
"लौ दीये की" किसी एक राही के मन का भी सुकून हो सके, किसी एक पाठक के लिए भी अंधेरा दूर करने का सबब हो सके तो इस पुस्तक के अस्तित्व में आने की प्रक्रिया सार्थक हो जाएगी।
कविताओं को अब उनकी अपनी यात्रा और उनका अपना आसमान मुबारक। मैं कहीं नेपथ्य से उस लौ को एकटक देखती स्वयं लौ होने की राह में अपनी तरह से अपना रास्ता तय करती रहूँगी।
-अनुपमा
पुस्तक का लिंक
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पुस्तक प्रकाशक के इस नम्बर +91 8447540078 पर सम्पर्क कर के भी प्राप्त की जा सकती है।
प्रस्तुतकर्ता
अनुपमा पाठक
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18 अक्तूबर 2021
जो एकाएक उठ कर चल देते हैं बस
इस धराधाम से
असमय
वो कितना विराट शून्य छोड़ जाते हैं पीछे।
पर,
यह भी है
कि हम कौन होते हैं ये कहने वाले
कि वे असमय चले गए
हो सकता है
यही यथेष्ट समय हो
यही सबसे उचित मुहूर्त हो
जिसमें
आत्मा ने अपना प्रस्थान चुना हो
कौन जाने !
हम जहाँ हैं वहीं से
उस आत्मा की आगे की यात्रा के लिए
प्रार्थनारत हो लें
जिस सकारात्मकता की वो प्रतीक थीं
उसी सकारात्मक ऊर्जा के साथ
उन्हें विदा किया जाए
उनके साथी
उनकी जननी
उनका परिवार
उनके अपने
और हम सब उन्हें ख़ूब शुभकामनाओं के साथ विदा करें
कि वह चैतन्य आत्मा अपनी आगे की यात्रा
असीम शांति के साथ तय कर सके!
विजयदशमी के पावन दिवस
सौभाग्यवती गयीं वे
जैसे देवी ने नियत दिन चुना हो अपने प्रस्थान के लिए
यह विदा
भौतिक स्थूल शरीर का सत्य है मात्र
आदि शक्ति कभी विदा होती नहीं
वो तो बस
उनकी प्रतिकृति
उनकी प्रस्तर प्रतिमा
विसर्जित की जाती है
अपराजिता को तो संभाल कर रख लिया जाता है पूजा घर में
शरीर की विदाई है यह
आत्मा अजर अमर है
वो कहीं नहीं गयी
कहीं नहीं जाएगी !
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अपराजिता जी, आपकी कला दुनिया रहते इस जगत का हिस्सा रहेगी और अलबेली दिग्दिगंत तक अमर।
सलाम आपकी यादों को।
प्रार्थनाएँ शोक संतप्त परिवार के लिए!
प्रस्तुतकर्ता
अनुपमा पाठक
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15 अक्तूबर 2021
बुराई पर जीतती अच्छाई
जीवन में
संकल्पों का
वह ताना बाना बुने
कि
हम उद्धत हों जाएँ
अपने अपने भीतर के रावण को
परास्त करने के लिए
दीप जलें
हृदय सुमन खिले
मन में ऐसा उत्सव हो
कि दुःख समग्र आप्लावित हो जाए
सुख अपनी सम्पूर्ण गरिमा के साथ
जीवन में संस्कारित हो पाए।
-अनुपमा
१५।१०।२०२१
सभी को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
प्रस्तुतकर्ता
अनुपमा पाठक
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14 अक्तूबर 2021
एक बूँद आँसू
एक व्यथा समंदर भर
एक क्षण की कोई बात
जो न भूले मन जीवन भर
ऐसे कैसे-कैसे घाव समेटे
हम जीते हैं
जीते हुए घूँट ज़हर के
कितने हम पीते हैं
मन में जाने कैसा
पर्वताकार दुःख है
अब धीरे-धीरे उसी को
कहने लगे हम-
प्रस्तुतकर्ता
अनुपमा पाठक
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20 अगस्त 2019
बूँदों का मोक्ष है
बारिश
बादलों के
मिट जाने की चाह की पुष्टि है
बारिश
आकाश का अलंकार
और धरती का संस्कार है बारिश
दुःख की सपाट राह में
सुख की जरा सी नमी है बारिश।
प्रस्तुतकर्ता
अनुपमा पाठक
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19 अगस्त 2019
ये
अनिश्चित-से
काश और शायद सरीखे शब्दों की ही महिमा है
कि हम चलते चले जाते हैं
उन मोड़ों से भी आगे
जहाँ से आगे की कोई राह नहीं दिखती
ये शब्द सम्भावनाओं का वो आकाश हैं
जो घिरे हुए बादलों के बीच भी
चमक उठते हैं
अपनी रौ में!
एक आशा है
जो जिलाए रखती है
अंधकार के घोर प्रपात में
हम दामन में
एक मुस्कान बचाए रखते हैं
तब भी जब कुछ भी नहीं होता अपने हाथ में
मन की चंचलता
उठते-गिरते
अपने लिये
मन-भर आकाश गढ़ लेती है
जिसमें
नए सिरे से
सूरज चाँद टाँक
समय की गति के गूढ़ार्थ पढ़ लेती है!